Namaskaram, I hope you all are healthy and doing well in your life.
In today's day-to-day life, people are struggling with many types of negative things. Which includes fear, sorrow, anxiety, depression and many other things. And sometimes these things also become the reason for their suicide.
According to an estimate by the World Health Organization [WHO], approximately 1 million people worldwide are dying by suicide each year, representing 1 global death every 40 seconds. According to the WHO it is also predicted that by 2020 the death rate will be 1 every 20 seconds.
This is not a small thing. We cannot ignore it at all. Because 'Our life do not only belong to us. From our birth until our death...We are tied to others. In the past and in the future, And with every crime and very good act... We define our future'.
Now the question must be arising in your mind that why does a person commit suicide?
See, if we just look at it as a life, rather than seeing it as a special person, one of the most fundamental reasons is simply that "a human breaks from the inside". The result of which can be suicide, depression or any other disease. But life does not break.
So we just have to see it as a life. Not as someone you loved or who was close to or loved by you. Because when someone commits suicide or someone dies, you get emotional. You feel that this is the end of the world but after the next few days you again return to your normal life. Everything starts running almost the same way and you forget about it. This process continues like this again and again.
So instead of seeing it as a person, you just see it as a life that 'why does one life do this?'
Many aspects of this may be possible. But a fundamental aspect of it is that 'life experience is not very pleasant'. Because you have kept your pleasant experience captive of success or money or relations or needs or many other things in the world.
If people fail in something, they will commit suicide. If a love affair breaks up, someone will commit suicide. If someone loses his wealth, he will commit suicide. Because you are unfortunately gathering your wealth, your house, your relationship, your family, your work, your position, your name etc. together and carry it.
See, the life inside us always wants to live. He always wants to get the highest peak. But life is always full of gaiety and enthusiasm. You are mentally vulnerable to depression.
Today you are entangled in the logical dimension of your mind. Your understanding says one thing, but your reasoned thinking says something else. Along with this, the repetitive nature of your daily routine life can also be the cause of depression.
See, you have to understand this. Too many argumentative moments are moments of suicide. Depression means that 'you are gradually committing suicide partly'. If you give logic too much space in your life, then your vivacity will decrease. You should only apply logic to the physical aspects of life. If you apply logic to life itself then you will be a victim of depression.
If you delete everything that means something to you. And then ensure your life rationally. Then you will definitely be a victim of depression.
See, the most valuable thing in your life is life itself. 'Where do you live, what do you wear, what do you eat, what vehicle do you have' are all the accessories of your life. You are alive right now, this is the biggest happiness.
You have to understand clearly that there is no benefit from being unhappy, depressed or ill. There is an advantage in staying happy and happy. And even if there is no benefit then what is the difference.
Thank you
हिंदी अनुवाद: नमस्कार, मुझे आशा है कि आप सभी स्वस्थ होंगे और अपने जीवन में अच्छा कर रहे होंगे।
आजकल की रोजमर्रा की जिंदगी में लोग कई प्रकार की नकारात्मक चीजों से जूझ रहे हैं। जिनमें डर, दुख, चिंता, अवसाद तथा कई अन्य चीजें भी शामिल हैं। और कभी-कभी ये चीजें उनकी आत्महत्या का कारण भी बन जाती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन [WHO] के अनुमान के अनुसार, पूरे विश्व में हर साल लगभग 1 मिलियन [10 लाख] लोग आत्महत्या से मर रहे हैं, जो हर 40 सेकंड में एक वैश्विक मृत्यु का प्रतिनिधित्व करता है। WHO के अनुसार यह भी भविष्यवाणी की गई है कि 2020 तक मृत्यु की दर हर 20 सेकंड में 1 हो जाएगी।
ये कोई छोटी बात नहीं। हम इसे बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। क्योंकि 'हमारा जीवन केवल हमारा नहीं है। हमारे जन्म से लेकर हमारी मृत्यु तक... हम दूसरों से बंधे हुए हैं। अतीत और भविष्य में, और हर अपराध तथा बहुत अच्छे काम के साथ... हम अपने भविष्य को परिभाषित करते हैं।'
अब आपके मन में यह प्रश्न अवश्य उठ रहा होगा कि आखिर कोई इंसान आत्महत्या क्यों करता है?
देखिए, अगर हम इसे किसी विशेष व्यक्ति के रूप में देखने के बजाय बस इसे एक जीवन के रूप में देखें, तो इसका एक सबसे मूलभूत कारण बस इतना है कि "एक इंसान अंदर से टूट जाता है"। जिसका परिणाम आत्महत्या, अवसाद या कोई अन्य बीमारी हो सकती है। पर जीवन नहीं टूटता।
तो हमें इसे बस एक जीवन के रूप में देखना होगा। न कि किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जो आपको प्रिय था या जो आपके करीबी था या जिससे आप प्रेम करते थे। क्योंकि जब कोई आत्महत्या करता है या कोई मरता है, तो आप भावुक हो जाते हैं। आपको लगता है कि ये दुनिया का अंत है पर अगले ही कुछ दिनों के बाद आप फिर अपने सामान्य जीवन में लौट जाते हैं। हर चीज लगभग वैसे ही चलने लगती है और आप इसके बारे में भूल जाते हैं। यह प्रक्रिया ऐसे ही बार-बार चलती रहती है।
इसलिए आप इसे किसी व्यक्ति के रूप में देखने के बजाय बस एक जीवन के रूप में देखें कि 'आखिर एक जीवन ऐसा क्यों करता है?'
इसके कई पहलू संभव हो सकते हैं। पर इसका एक बुनियादी पहलू यह है कि 'जीवन का अनुभव अत्यधिक सुखद नहीं है'। क्योंकि आपने अपने सुखद अनुभव को दुनिया में सफलता का या पैसों का या रिश्तो का या जरूरतों का या कई अन्य बहुत सी चीजों का बंदी बना रखा है।
लोग किसी चीज में असफल हो गए तो वे आत्महत्या कर लेंगे। यदि एक प्रेम संबंध टूट जाता है तो कोई आत्महत्या कर लेगा। यदि कोई अपना धन-संपत्ति खो दे तो वो आत्महत्या कर लेगा। क्योंकि आप दुर्भाग्य से अपनी दौलत, अपने घर, अपने रिश्ते, अपने परिवार, अपने कार्य, अपने पद, अपने नाम आदि को एक साथ इकट्ठा करके उसे ढो रहे हैं।
देखिए हमारे भीतर बसा जीवन हमेशा जीवित रहना चाहता है। वो हमेशा सबसे उच्चतम शिखर को पाना चाहता है। पर जीवन हमेशा उल्लास और उत्साह से भरा होता है। आप मानसिक तौर पर ही अवसाद की चपेट में आते हैं।
आज आप अपने मन के तार्किक आयाम में उलझ गए हैं। आपकी समझ एक बात कहती है पर आपकी तर्क भरी सोच कुछ और ही कहती है। इसके साथ ही आपके रोज की दिनचर्या के जीवन का दोहराव से भरा स्वभाव भी अवसाद का कारण हो सकता है।
देखिए आपको इसे समझना होगा। बहुत ज्यादा तर्क वाले पल, आत्महत्या के पल होते हैं। अवसाद का अर्थ है कि 'आप धीरे-धीरे आंशिक रूप से आत्महत्या कर रहे हैं'।अगर आप अपने जीवन में तर्क को बहुत ज्यादा जगह देंगे, तो आपकी जीवंतता घटती चली जाएगी। आपको जीवन के भौतिक पहलुओं पर ही तर्क को लागू करना चाहिए। अगर आपने जीवन पर ही तर्क को लागू कर दिया तो आप डिप्रेशन के शिकार हो जाएंगे।
अगर आप हर उस चीज को मिटा दें जो आपके लिए कुछ मायने रखती है। और फिर अपने जीवन को तर्क से सुनिश्चित करें। तो आप निश्चित रूप से डिप्रेशन का शिकार हो जाएंगे।
देखिए, आपके जीवन में सबसे मूल्यवान चीज खुद जीवन है। 'आप कहां रहते हैं, आप क्या पहनते हैं, आप क्या खाते हैं, आपके पास कौन सा वाहन है' ये सब आपके जीवन की सहायक चीजें हैं। इस समय आप जिंदा हैं यही सबसे बड़ी खुशी की बात है।
आपको ये बात स्पष्ट रूप से समझनी होगी कि दुखी, डिप्रेस या बीमार होने से कोई फायदा नहीं है। खुश तथा आनंदित रहने में फायदा है। और यदि फायदा नहीं भी हुआ तो क्या फर्क पड़ता है।
धन्यवाद
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ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteDhanyawad
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ReplyDeleteधन्यवाद मित्र
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